आप इसमें जानेंगे की Digital Signature क्या है
और काम कैसे करता है?, Digital Signature कैसे बनता है।,
Private key, Public key, Digital Signature Working Process, तो अब निचे में
इसके बारे में डिटेल्स में जानेंगे.
Digital Signature क्या है और काम कैसे करता है? |
Digital Signature क्या है?, What is Digital Signature and how does it work?
यह एक digital
रूप से हमारे प्रामाणिकता की पुष्टि करने के
लिए गणितीय टेक्निक है। यह एक प्रकार की Digitally Sign किया हुआ विशेष कोड होता है.
जिससे इस डिजिटल
सिग्नेचर का उपयोग कर किसी भी ऑनलाइन डॉक्यूमेंट की प्रमाणिकता और स्वीकार्यता दर्शाता
है।
यह एक प्रकार की
ऐसी Secure Digital Key होती है, जिसमे किसी भी ब्यक्ति का अपना पूरी एड्रेस के
आलावा उसका सभी document जैसे की पैन कार्ड और
आधार कार्ड इत्यादि होती है. यानि आप से जुड़े सभी जानकारियां होती है.
डिजिटल सिग्नेचर
को इस्तेमाल करने की एक तय समय सीमा होती है यह सीमा सामान्यतः 2 या 3 साल है, यह समय सीमा के बाद आपको इसे फिर से रिन्यू कराना पड़ता है।
Digital Signature कैसे काम करता है?
Public key Infrastructure (PKI) के रूप में Digital signature
provider एक विशेष तरह के
प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करती हैं। जिससे सिग्नेचर के डिटेल्स के
आधार पर 2 तरह की long
mathematical code generate होती है जो निचे
में दिया गया हैं -
Private key
Public key
इलेक्ट्रॉनिकली Sign
किया गया सिग्नेचर, Signer के Private key के द्वारा Generate होता है. इस प्रकार mathematical
algorithm के द्वारा document
को match करना या details check करना होता है. इस process को hash कहा जाता हैं।हैश एक Digital signature की मुख्य Security है।
Signer Private key से Encrypt
हैश के माध्यम से होने के बाद ही Digital
Signature बनता है। डिजिटल सिग्नेचर
signer के डॉक्यूमेंट के साथ जुड़
जाता है। इसके साथ डॉक्यूमेंट को Sign करने का समय व Public key भी जुड़ जाता है।
ये डॉक्यूमेंट जब
प्राप्त करता को मिलने पर इसे सत्यापित करने के लिए डॉक्यूमेंट के साथ मिले Public
key का इस्तेमाल करेगा। जो Signer
के द्वारा Create किया गया था। रिसीवर द्वारा public key का इस्तेमाल करने पर वो फिर हैश का कोड रिसीवर
के पब्लिक की के द्वारा Decrypt हो जाता है.
Digital Signature Working Process
रिसीवर के पब्लिक
की द्वारा हैश कोड Match होने पर यह मालूम
होता है की डॉक्यूमेंट में कोई छेड़छाड़ यानी Modification नहीं हुई है, यानि यह असली है. अगर वो कोड मैच नहीं करता है
तो इससे प्रतीत होता है की डॉक्यूमेंट असली नहीं है या उसे किसी और द्वारा भेजा
गया है.
इन सभी प्रक्रिया
में कहीं भी डॉक्यूमेंट को Decrypt नहीं किया गया
है। Digital Signature डॉक्यूमेंट Issuer
के पहचान को Verify करता है की डॉक्यूमेंट जो की इस नाम के व्यक्ति द्वारा Sign
किया गया है.
Digital Signature कैसे बनता है।
किसी भी प्रकार
के ऑनलाइन कार्यों में ऑनलाइन वेरिफिकेशन के रूप से Digital Signature की आवश्यकता पड़ती है। इस लिए Digital
Signature कैसे बनता है। इसकी प्रक्रिया को जानना जरुरी है.
Certified Authority (CA) द्वारा Digital Signature को प्राप्त किया
जा सकता है, यह एक प्रकार से Service Provider कंपनी होती है, जिसे डिजिटल सिग्नेचर से जुड़े लाइसेंस प्राप्त होता है।
डिजिटल सिग्नेचर
बनवाने के लिए एक तय शुल्क के आलावा अपने कुछ जरुरी Documents की आवश्यकता पड़ती है.
तो यह था जानकरी डिजिटल
सिग्नेचर के बारे में जिसमे आपको जानकरी मिला
की Digital Signature क्या है. डिजिटल सिग्नेचर
कैसे काम करता है?, Digital Signature कैसे बनता है।,
Private key, Public key, Digital Signature Working Process, तो अब निचे में
इसके बारे में डिटेल्स में जानेंगे.
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