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जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? इसकी क्या कहानी है?


जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? इसकी क्या कहानी है?


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पुरे भारत में मनाया जाने बाला जन्माष्टमी हिन्दुओ के लिए उत्सब भरा पर्व है. जन्माष्टमी का त्योहार श्री कृष्ण भगवान से जुड़े त्योहार है. 

Krishna Janmashtami  की उत्सव मानाने बाले सभी को यह जरुर जानकरी होनी चाहिए की “कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) क्यों मनाते है और इसका क्या महत्त्व हैं, जन्माष्टमी क्या है? भगवान श्री कृष्ण,  जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है? और जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?”

इस पोस्ट के माध्यम से Krishna Janmashtami से जुड़े इन सभी के बारे में निचे में जानकारी दी गई है. 
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जन्माष्टमी क्या है?

What is Janmastami in Hindi
जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami Hindi ) हिन्दुओं का त्यौहार है. और यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन से जुड़े है.

श्री कृष्ण के जन्म के खुशियों के रूप में जन्माष्टमी (Janmashtami)  का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भक्त लोग भगवान के जन्म के उत्सव में व्रत रखते हैं.

इस त्यौहार का मुख्य महत्व जिस तरह से “नेक नियत को प्रोत्साहित करना है” ठीक उसी तरह से “बुरी इच्छा को हतोत्साहित करना है.”

भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की भूमि पर हुआ था. 
श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार है.

धरती पर उनके जन्म का मकसद अधर्म और अन्याय को ख़त्म करना था.
आगे अब उन्ही के बारे में कुछ जरुरी जानकारी देने बाले है.

भगवान श्री कृष्ण

(Know About Sri Krishna)
देवताओं में भगवान श्री हरि (विष्णु) के अवतार भगवान श्री कृष्ण हैं. जिन्होंने अपने जीवन के हर पड़ाव में अलग-अलग लीलाये किया है. भगवान श्री कृष्ण का पूरा बचपन उनकी अद्भुत लीलाओं से भरा पड़ा है.

भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम है. जैसे:- बाल गोपाल, कान्हा, मोहन, केशव, श्याम, वासुदेव, कृष्णा और कई अन्य. श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे. 

उनके जन्मोत्सव में उनकी बाल लीलाओं का रूप अधिक देखने को मिलता है. उनकी युवावस्था की भी कई अद्भुत कहानियां प्रसिद्ध हैं. 

कभी वह एक राजा के रूप में गरीबों के मसीहा बनकर सामने आते हैं. तो कभी भगवान के रूप में भक्तों के पालनहार बनते है.

भगवान विष्णु ने धरती को पापियों के जुल्मों से मुक्त कराने के लिए श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिए था.

कृष्ण के रूप में उन्होंने न केवल कंस जैसे अत्याचारी राजा का वध किया बल्कि महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश देकर कर्म का सिद्धांत भी बताया.

भगवान कृष्ण का जीवन और इससे जुड़ी कहानियां इतनी अद्भुत हैं कि आज भी लोग उनके जीवन के हर पहलू को याद करते हैं और उनके जन्म का उत्सव ‘जन्माष्टमी’ या ‘गोकुलाष्टमी’ के रूप में हर साल मनाते हैं.

मथुरा नगरी का राजा कंस जो बहुत अत्याचारी था. उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे. एक समय भविष्यवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा. 

यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव सहित उसे काल-कोठारी में डाल दिया. बद्ध होने के डर से कंस ने कृष्ण से पहले जन्मे देवकी के 7 बच्चों को मार डाला था. 

कृष्ण जन्म के समय घनघोर वर्षा और चारों तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था. श्री कृष्ण का अवतरण होते ही वासुदेव–देवकी के कारागार के द्वार की बेड़ियाँ स्वयं ही खुल गए. पहरेदार गहरी निद्रा में सो गए. 

वसुदेव किसी तरह श्री कृष्ण को उफनती यमुना के पार गोकुल में अपने मित्र नन्दगोप के घर ले गए. 

वहाँ पर नन्द की पत्नी यशोदा को भी एक कन्या उत्पन्न हुई थी. वसुदेव श्री कृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को ले गए.

कंस ने उस कन्या को पटककर मार डालना चाहा. किन्तु वह इस कार्य में असफल ही रहा. श्री कृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नन्द की देखरेख में हुआ.

बाल्यकाल में ही श्री कृष्ण ने अपने मामा के द्वारा भेजे गए अनेक राक्षसों को मार डाला और उसके सभी कुप्रयासों को विफल कर दिया. और अन्त में श्री कृष्ण ने दुष्ट कंस को ही मार दिया. 

श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का नाम ही जन्माष्टमी है. गोकुल में यह त्योहार ‘गोकुलाष्टमी’ के नाम से मनाया जाता है.

जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है?

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भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाने वाले भगवान कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है.

श्री कृष्ण को माखन दूध,दही काफी पसन्द था जिसकी  वजह से उन्हें जहाँ कहीं भी माखन दीखता वह  खा जाते थे. 

इसलिए वृन्दावन में महिलाओं ने माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटकाना रखना शुरू कर दिया, जिससे की श्री कृष्ण का हाथ वहां तक न पहुंच सके.

लेकिन नटखट कृष्ण ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर योजना बनाई और साथ मिलकर ऊंचाई लटका कर रखा मटकी से दही और माखन चुरा लिया. वही से प्रेरित होकर दही हांडी शुरू हुआ.

जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?

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भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव पारंपरिक तौर–तरीके से पूरे देश में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से मनुष्य का शरीर पापों से मुक्त हो जाता है.

जन्माष्टमी के दिन मंदिर में झाकियां सजाई जाती हैं. और इस दिन भगवान श्री कृष्ण को झूला झूलाया जाता है.  

कुछ लोग पेड़ों पर झूले बाँधकर झूलते हैं क्योंकि अपने बचपन में कृष्ण जी को झूला झूलना बेहद पसंद था .

भगवान श्री कृष्ण मक्खन, दही और दूध से बनी चीजों को खाना पसंद करते थे इसलिए जन्माष्टमी के दिन विभिन्न मीठे व्यंजन बनाये जाते है.

जन्माष्टमी में माखन और दही से जुड़े भी उत्सब होता है. देश के कई भागों में जन्माष्टमी के दिन मटकी फोड़ने का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है. जिसमे मटका फोड़ा जाता है.

जन्माष्टमी पर्व की पहचान बन चुकी दही-हांडी या मटकी फोड़ने की रस्म भक्तों के दिलों में भगवान श्री कृष्ण की यादों को ताजा कर देती हैं.

इस दिन भजन-कीर्तन करके भी उत्सव मनाया जाता हैं. इस दिन कृष्ण और गोपिकाओं की रास लीला का नाटकीय रूपांतर प्रदर्शित किया जाता है. 

जन्माष्टमी करने बाले भक्त रात के बारह बजे तक व्रत रखते हैं. रात को 12 बजे शंक तथा घंटों की आवाज से श्री कृष्ण के जन्म की खबर चारों दिशाओं में गूंज उठती है. 

फिर भगवान श्री कृष्ण जी की आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जात है.

मथुरा, वृंदावन और गोकुल में कृष्ण जन्माष्टमी

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मथुरा भगवान् कृष्ण का जन्मस्थान है. और वृंदावन और गोकुल में श्री कृष्ण ने अपना बचपन बिताया था. 

मथुरा में जन्माष्टमी का एक भव्य उत्सव होता है. भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.

मथुरा का ये उत्सव पूरे देश से पर्यटकों को आकर्षित करता हैं. जन्माष्टमी मनाने के लिए मथुरा की पूरी जगहों को फूलों और रौशनी से सजाया जाता हैं.

गोकुल में भी भगवान कृष्ण के कुछ प्रसिद्ध मंदिर है. जन्माष्टमी के त्यौहार के दौरान मथुरा, वृन्दावन और गोकुल का पूरा वातावरण उनके नाम से गूंजता हैं. 

जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?

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जब भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था. तब श्रवण कृष्ण के जन्म में कृष्णा पक्ष का यह 8 वाँ दिन था. इसलिए इसी दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार जन्माष्टमी मनाया जाता हैं.

जन्माष्टमी प्रत्येक वर्ष  भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है.

श्री कृष्ण का जन्म वसुदेव तथा देवकी के घर रात्री 12 बजे हुआ था. इसलिए पूरे भारत मे कृष्ण जन्म को रात्री मे ही 12 बजे मनाया जाता है. 

वर्ष 2020 में जन्माष्टमी मंगलबार 11 अगस्त को मनाया जायेगा.

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हमें उम्मीद है की हमारे द्वारा आपके लिए बताया गया  श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में यह जानकारी से कुछ सिखने को मिला होगा. अगर यह जानकरी अच्छी लगी हो तो कृपया इस पोस्ट को social media पर जरुर share करने की कोशिस करे.

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