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Mutual Funds क्या है? निवेश करने से पहले यह जाने




Mutual Fund क्या है?, What Is Mutual Fund In Hindi

Mutual Funds के बारे में आपने जरुर सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते है की  म्यूच्यूअल फण्ड क्या हैं. ( What Is Mutual Funds In Hindi). इसके नाम से ही पता चलता है कीम्यूच्यूअल फण्ड एक फण्ड है. जहाँ पर निवेशाको के दवार एक बड़ी संख्या में धनराशी जमा की जाती है. किसी व्यक्ति या कंपनी की इकाई द्वारा जमा किया जाने बाला फंड Mutual Funds कहलाते है। 

Mutual Funds एक ऐसा निवेश योजना है जिसमें निवेशक द्वारा  निश्चित रकम या धनराशि जमा की जाती है और इस धनराशि को अलग-अलग सेक्टर्स जैसे- सरकारी फंड, किसी योजना, शेयर बाज़ार आदि में निवेश किया जाता है।

Mutual Funds में निवेशको द्वारा पैसा इन्वेस्ट करके अधिक संभव मुनाफा अर्जित करने के लिए Manage किया जाता है. म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने के लिए ऐसा नहीं है की आपके पास ज्यादा पैसा होना चाहिए, इसमे केवल 500 रुपये प्रतेक महीने से भी इन्वेस्ट कर सकते है.

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Mutual Fund कैसे काम करता है?, Mutualfunds

निवेशक द्वारा जमा की गई धनराशी को प्रोफेशनल फंड मैनेजरों यानी पेशेवर प्रबंधकों द्वारा अलग-अलग सेक्टर्स में निवेश किया जाता है। इस धन को निवेश करने के लिए म्यूच्यूअल फंड मैनेजर अपने अनुसार यह तय करती है कि कब और कहा पैसा लगाना है। म्यूच्यूअल फंड मेनेजर सबसे पहले रिस्क और रिटर्न निर्धारित करता है. उसके बाद निवेश करता है. धनराशी को इस तरह से निवेश किया जाता है कि फंड के निवेशकों के लिए ज्यादा-से-ज्यादा पूंजीगत लाभ या आय प्राप्त की जा सके।

यह कार्य करने के लिए एक उच्च योग्य प्रोफेशनल फण्ड मैनेजर को फंड हाउस के द्वारा नियुक्त किया जाता है. इनके द्वारा आपके फण्ड को चलाने के कारन एक निश्चित तय राशी आपके लाभ में से काट लेता है। सभी म्यूच्यूअल फंड Companies Securities Exchange Board Of India (SEBI) से  Rgistered होते है जो फंड प्रबंधन के लिए Asset Management Company (AMC) को मंजूरी देती है।

म्यूच्यूअल फण्ड का इतिहास, History Of Mutual Funds

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारत सरकार की पहल पर यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) के गठन के साथ भारत में म्यूचुअल फंड 1963 में शुरू हुआ था. इसका मुख्य उद्देश्य छोटे निवेशकों को आकर्षित, निवेश तथा बाजार से सम्बंधित विषयों से अवगत कराना था.

संसद के एक अधिनियम के तहत UTI का गठन 1963 में किया गया था भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा . इसकी स्थापना की गयी थी. शुरू में इसने RBI के अंतर्गत काम किया. उसके बाद UTI को 1978 में RBI से अलग कर दिया गया. 
  • भारत में 1964 से Mutual Funds के विकाश की पहला चरण शुरू हुयी थी.
  • 1987 से दूसरा चरण शुरू हुयी जिसमे Public Sector फण्ड की Entry सुरु हो गयी.
  • तीसरा चरण 1993 से शुरू हुआ. इस चरण में Private Sector Funds को मंजूरी मिली. 
  • 2003 से चौथा चरण शुरू हुआ जो अब तक चल रहा है. 2003 में UTI को दो अलग चरणों में बाँट दिया गया. पहला SUUTI और दूसरा UTI Mutual Fund जो की SEBI MF के नियमो के अनुसार काम करते थे.


इन्वेस्ट करने से पहले जाने, Know Before Mutual Funds Investment

म्यूचुअल फंड अब्धि, Mutual Fund Plan Duration 

सबसे पहले तो आपको ये तय करना है कि आप कितना धनराशी निवेश कर सकते हैं और कितने समय के लिए निवेश करना चाहते है. अगर आपको कम समय के लिए निवेश करना है, तो उसके लिए अलग और अधिक समय के लिए इन्वेस्ट करना कहते है तो उसके लिए अलग म्यूच्यूअल फण्ड होंगे.

अगर म्यूच्यूअल फण्ड में एंट्री लोड और एग्जिट लोड चार्ज की बात की जाये तो ना ही एंट्री लोड में और ना ही एग्जिट लोड में कोई चार्ट नहीं लगती है. लेकिन अगर आप तय सीमा से पहले पैसो की निकाशी करते है तो कुछ म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियो के द्वारा एग्जिट लोड चार्ज करती है. इसलिए निवेश करते समय यह देख ले की किस स्कीमों में एग्जिट लोड कम-से-कम है या नहीं है.

जोखिम लेने की क्षमता, Mutual Fund Risk

ज्यादा रिटर्न प्राप्त करने के लिए ज्यादा जोखिम लेना पड़ता ही है, इसलिए निवेश करने से पहले आप यह सोच ले की इस निवेश के लिए कितना जोखिम ले सकते हैं. निवेश में आपके द्वारा लगाई गई पूंजी की सुरक्षा को देखा जाये तो ज्यादा रिटर्न मायने रखती है.
अगर आप ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते है ताकि आपके निवेश की वैल्यू में गिरावट आ जाए तो ऐसे स्थिति में आपको वैसे फंड चुनने होंगे जिनमें रिटर्न और जोखिम संतुलित रहे. ताकि आपकी कैपिटल सिक्योर रहे और रिटर्न भी मिले.

फंड का पिछला प्रदर्शन, Previous  Year Performance

यह जरुरी नहीं है की कोई Mutual Funds की Previous  Year Performance बेहतर हुआ होगा तो आगे भी अच्छा ही होगा. इससे बस आपको अपनी मनपसंद फंड स्कीम चुनने में मदद जरुर मिलेगी क्योकि आपको अलग-अलग फंड से अब तक मिले औसत रिटर्न का अंदाजा लग जाएगा. 

आप जिस फण्ड में इन्वेस्ट करना कहते है उसके पिछले प्रदर्शन से आप एक अनुमान लगा सकते है की इस फण्ड की पर्दर्शन प्रीवियस इयर में कैसा रहा है. इसमे आप यह जान सकते है की उसके प्रदर्शन में बाजार के उतार-चढ़ाव और इकोनॉमी से बहुत अलग तो नहीं हैं. किसी फण्ड को चुनने से पहले ऐसा जरुर करे.

म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार, Types Of Mutual Funds

How To Select Mutual Fund In Hindi
अब यह सबाल मन में आता है की अगर आप म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने का मन बना लिया है तो यह पता होना चाहिए  की बाजार में दर्जनों कंपनियों की हजारों म्यूचुअल फंड स्कीमें मौजूद हैं. इन्वेस्ट करने से पहले इसे जानना बहुत जरुरी है.

Equity Mutual Funds:-

इक्विटी फण्ड को ग्रोथ फण्ड भी कहा जाता है. equity fund में छोटी अब्धि के लिए निवेश करना रिस्क माना जाता है. इस लिए इस स्कीम में एक लम्बे समय के लिए किया गया निवेश बेहतर होता है क्योकि इसमें रेतुर्न अच्छा मिलता है. equity fund को बाजार पूंजीकरण के अनुसार लार्ज कैप, मिड कैप, छोटे और सूक्ष्म जैसे 10 प्रकारों में विभाजित किया जाता है|

Debt Mutual Fund:-

Debt Mutual Fund कम रिस्क बाले म्यूच्यूअल फण्ड है. Debt Mutual Fund में आप छोटे समय के लिए इन्वेश कर सकते है. equity fund से तुलना की जाये तो debt fund में रिस्क काफी कम (low risk) है. छोटे निवेशक यानि कम राशी इन्वेस्ट करने बालो के लिए यह फण्ड अच्छा माना जाता है.

Hybrid Mutual Funds:-

Hybrid Mutual Funds में Equity Mutual Funds और Debt Mutual Fund इन दोनों का मिश्रण माना जाता है. क्योकि यह मध्यम रिस्क बाले म्यूच्यूअल फण्ड होते हैं। हाइब्रिड म्यूच्यूअल फण्ड में डेट और इक्विटी का अनुपात फण्ड मैनेजर द्वारा निर्धारित किया जाता है इसके अलाबा फण्ड से अपेक्षित रीटर्न पर निर्भर करता है।

डायरेक्ट  प्लान  Vs रेगुलर प्लान

Mutual Fund Direct Vs Regular Plan
 रेगुलर प्लान वह पालन है जो आपके फण्ड को किसी और के द्वारा मैनेज किया जाता है. इसमे डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन शामिल होता हैं। यानि इन योजनाओं के लिए डिस्ट्रीब्यूटर को हर वर्ष भुगतान किया जाता है। जो कमीशन फंड मूल्य के 0.5% से 1% तक होता है। जबकि डायरेक्ट योजनाओं में किसी भी तरह की डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन शामिल नहीं होता हैं। 

सभी इन्वेस्टर रेगुलर प्लान में ही निवेश करता है. क्योकि इसमे निवेश करने के अलाबा और कुछ भी नहीं करने पड़ते है. आगे का सारा काम मेनेजर के द्वारा किया जाता है. लेकिन डायरेक्ट प्लान में ऐसा नहीं है. डायरेक्ट प्लान में  फुल्ली एक्सपर्ट के द्वारा इन्वेस्ट किया जाता है.

Mutual Fund Invest कैसे करें ?

म्यूचुअल फंड्स में किसी भी कंपनी की कोई भी प्लान  आप ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके से खरीद सकते हैं। निवेश करने से सुनिश्चित हो ले कि आपको किस एसेट मैनेजमेंट कंपनी की किस  स्कीम में निवेश करना है। अलग अलग तरह के म्यूचुअल फंड्स का अलग-अलग परफॉरमेंस होता है इसलिए पोर्टफोलियो और पिछला प्रदर्शन भी जांच जरुर जाँच लें.

बैंकों में ब्याज कम मिलने के कारन  म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश बहुत अच्छा बिकल्प  है। म्यूच्यूअल फण्ड में एक लम्बे समय के निवेश पर अधिक रिटर्न प्राप्त हो सकता है। पहले कुछ लोगो को लगता था की इसमे निवेश करना कठिन है लेकिन अब अप्प द्वारा या ऑनलाइन की सुबिधा होने से अधिक से अधिक लोग इसमें निवेश आसानी से कर लेते है. 

Mutual Funds में निवेश करने के लिए आपको एक फॉर्म भरना होगा जो की आप ऑनलाइन या ऑफलाइन भर सकते है. और इन्वेस्ट कर सकते है. इसके बाद आप ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही तरीको से फंड्स बेच या खरीद सकते है.

Unit क्या है

जब बहुत से निवेशक मिल कर एक फण्ड में निवेश करते हैं. तो उस फण्ड को बराबर-बराबर हिस्सों में बाँट दिया जाता है. जिसे यूनिट (Unit) कहते हैं.

NAV क्या है

म्यूचुअल फंड यूनिट की कीमत को नेट एसेट वैल्यू (NAV) प्रति यूनिट के रूप जाना जाता है। फंड का एनएवी पोर्टफोलियो के कुल वैल्यू को बकाया यूनिटों की कुल संख्या से विभाजित करके निकाला जाता है। म्यूचुअल फंड यूनिटों को फंड के वर्तमान एनएवी पर खरीदा या बेचा जाता है।

SIP क्या है

SIP का full form Systematic Investment Plan यानी व्यवस्थित निवेश योजना है. जिसमें निवेशक पहले से निर्धारित राशि को प्रति माह निवेश करता है।

Mutual Funds Advantages And Disadvantages

जैसा की आप जानते है की म्यूच्यूअल फंड एक उतार-चढ़ाव वाला मार्केट है। इसमें फायदे होने की जितनी संभावनाएँ होती है उतनी ही सम्भावनाये नुकसान की भी होती है। कुछ महत्वपूर्ण म्यूच्यूअल फंड्स के लाभ और हानि के बारे में नीचे बताया गया है।

म्यूच्यूअल फंड्स के फायदे, Mutual Funds Benefits/ Advantages

Mutual Funds इन्वेस्ट करने से Benefits यह है की इसमें कम-से-कम रिस्क के सह एक अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद होती है. म्यूच्यूअल फण्ड का सबसे बड़ा फायदा तो यह होता है की आपको यह लम्बे समय में FD से कहीं ज्यादा लाभ देते हैं। 
कुछ प्रमुख फायदे नीचे दर्शाये गए है:
  • कम टैक्स:- म्यूच्यूअल फण्ड हो या कही भी धनराशी  निवेश करने से पहले हर कोई उस निवेश पर लगने वाले टैक्स की जानकारी लेता है. कम टैक्स लगने पर अधिक मुनाफ़ा होने के कारन म्यूच्यूअल फंड में निवेश करना सही माना जाता है.
  • सुरक्षित निवेश:- म्यूच्यूअल फंड SEBI की निगरानी में कार्य करते है और SEBI एक  सरकारी संस्था है। SEBI द्वारा हम रोज़ाना स्टॉक्स की कीमत, स्टॉक्स का भूतकाल में प्रदर्शन, फंड के मैनेजर की योग्यता इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है।
  • जोखिम में कमी:- म्यूच्यूअल फण्ड में ऐसा प्लान भी है जिसमें जोखिम की सम्भावना काफी कम होती है। अगर इसे शेयर मार्किट से तुलना की जाये तो म्यूच्यूअल फण्ड की धनराशी की जोखिम शेयर मार्किट से काफी कम होता है. इसलिए उसके अपेक्षा म्यूच्यूअल फण्ड के कैपिटल सिक्योर होती है.
  • रिटर्न:- म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश से एक अच्छा रिटर्न मिलाता है. आपको लम्बे समय में FD या बचत खाते की तुलना में कहीं अधिक लाभ मिलता है। यदि आप 5 से 10 साल के लिए पैसा निवेश करना चाहते हैं तो आपको म्यूच्यूअल फण्ड पर जरूर विचार करना चाहिए।
  • मैनेज:- म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने का सबसे बड़ा फायदा तो यह होता है की आपको शेयर बाजार का ज्ञान होने की जरूरत नहीं होती है। क्योकि म्यूच्यूअल फण्ड को एक प्रोफेशनल पेशेवर मैनेजर के द्वारा मैनेज किया जाता है।



म्यूच्यूअल फंड्स के नुकसान,  Mutual Funds Deficit/ Disadvantages

म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने के बहुत से फायदे है वही दूसरी तरफ इससे होने वाले थोड़े-बहुत नुकसान से पहले इन बातो पर ध्यान देना होगा.
  • जैसे की बैंक के FD में कोई रिस्क नहीं होता है वैसा म्यूच्यूअल फण्ड में नहीं है इसमें रिस्क होता है लेकिन  शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने पर जो रिस्क है उससे काफी कम है.
  • अधिकांशतः म्यूच्यूअल फण्ड में FD के अपेक्षा  ज्यादा इनकम होता है लेकिन कभी ऐसा भी हो सकता है की FD से कम ही नहीं बल्कि घाटे में भी जा सकता है. ऐसा देखने को कम मिलता है. कुछ-ना-कुछ इनकम तो होत ही है.
  • अगर आप चाहते है की कम समय में बेहतर इनकम कर ले तो यह संभव नहीं है. म्यूच्यूअल फण्ड में एक अच्छे इनकम के लिए एक लम्बे समय तक पैसे को इन्वेस्ट करने होगा.


हमारा बिचार 

किसी भी कार्य को करने की दो पहलु होती है. अगर आप एक अच्छा रिजल्ट या आउटपुट चाहते है तो कुछ खोने का हौसला भी तो रखना ही होगा. यानि अधिक रिटर्न चाहते है तो रिस्क भी उतना ही लेना पड़ेगा. सुरु में आप छोटे राशी से कम रिस्क बाले पलान ले सकते है.  

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